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December 29, 2012

दैनिक जागरण - सिग्नल-फ्री रोड का साइड इफेक्ट है अपराध में इजाफा!








राजू सजवान, नई दिल्ली

पिछले कुछ सालों से दिल्ली की सड़कों को सिग्नल फ्री बनाने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन ये सिग्नल फ्री रोड हाल ही में हुए सामूहिक दुष्कर्म जैसे अपराधों का कारण बनते जा रहे हैं। यह किसी निजी या स्वयंसेवी संगठन की राय नहीं है, बल्कि दिल्ली के यातायात एवं परिवहन की योजना बनाने वाली एकीकृत एजेंसी यूटीपैक का मानना है कि फ्लाइओवर और सिग्नल न होने के कारण चलती गाड़ियों में बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं।

यूटीपैक द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइंस बनाई जा रही हैं। इस कवायद के दौरान यह तथ्य यूटीपैक के समक्ष आया है। यूटीपैक के सदस्यों ने एक अध्ययन में पाया कि तेज रफ्तार से चलती गाड़ियों के भीतर हो रही घटनाओं को साथ चलते वाहन चालक देख नहीं पाते। दिल्ली के राष्ट्रीय राजमार्ग आठ या दोनों रिंग रोड पर इस तरह की आपराधिक वारदातें भी पिछले कुछ सालों में रिपोर्ट की गई हैं।

यूटीपैक ने सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बन रही गाइडलाइंस के ड्राफ्ट में इसे शामिल किया है और प्रस्ताव रखा है कि दिल्ली के प्रमुख चौराहों पर जहां सिग्नल हटा दिए गए हैं, वहां सिग्नल लगाए जाएं, ताकि गाड़ियों की रफ्तार थम सके। सिग्नल पर गाड़ी रुकने के कारण साथ खड़े वाहन चालक अंदर हो रही घटना को देख कर रोक सकें या पुलिस को सूचित कर सकें।

अपने ड्राफ्ट में यूटीपैक ने अब दिल्ली में फ्लाइओवर बनाने या सिग्नल फ्री रोड बनाने पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा रात के समय फ्लाइओवर बंद कर गाड़ियों को नीचे से गुजरने का प्रस्ताव रखा है, ताकि नीचे भीड़भाड़ होने पर ऐसी वारदात को देखा जा सके। इसके अलावा सड़क के किनारे एक व्यवस्थित तरीके से रेहड़ी पटरी वालों को जगह देने की भी वकालत की गई है, ताकि सड़क पर चहलपहल रहे या ये रेहड़ी पटरी वाले ऐसी घटनाओं को रोकने में मददगार साबित हो सकें। यूटीपैक ने दिल्ली की सुनसान सड़कों पर चहल-पहल बढ़ाने के लिए अर्बन प्लानिंग में सुधार की गुंजाइश बताई है। सड़कों के किनारे रेहड़ी, पटरी के अलावा छोटी-छोटी दुकानें होनी चाहिए, जिन्हें रात को बंद करने जैसी बाध्यता नहीं होनी चाहिए। रात के वक्त इन दुकानों को खोलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। ऐसे इलाकों में रैन बसेरा या सेमी हॉकिंग जोन बनाने होंगे।

यूटीपैक के एक अधिकारी ने बताया कि अभी जागौरी जैसे संगठनों की मदद से यह ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, इस पर अलग-अलग संगठनों और लोगों से राय ली जाएगी और बाद में सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी और दिल्ली की सभी एजेंसियों को महिला सेफ्टी गाइडलाइंस की पालना करनी होगी।
http://epaper.jagran.com/story1.aspx?id=24024&boxid=108224832&ed_date=28-dec-2012&ed_code=4&ed_page=6

See Also:

ACTION POINTS FOR "HOW TO MAKE DELHI SAFER FOR WOMEN"

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